बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र : सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- सिसमण्डी के आर्थिक विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिये।
उत्तर -
सिसमण्डी के विचार जे. एस. के विचारों से मेल खाते हैं। हम अध्ययन कर चुके हैं कि जीवन के प्रारम्भिक काल में मिल परम्परावादी विचारों से ओत-प्रोत था परन्तु जीवन के अन्तिम दिनों में वह समाजवादी बन गया। यही बात सिसमण्डी के बारे में भी कही जाती है। सिसमण्डी ने 1803 में Com- mercial Riches नाम की पुस्तक का प्रकाशन किया जिसमें उसने एडम स्मिथ के विचारों का भरपूर समर्थन किया है। उसने स्मिथ के सहजवाद एवं आशावाद का भी समर्थन किया है। 1803 के बाद सिसमण्डी मौन रहा क्योंकि उसने 16 वर्ष तक अपना पूरा ध्यान ऐतिहासिक अनुसन्धान में केन्द्रित कर दिया था। 1891 में (यह वही समय था जब रिकार्डों इंग्लैण्ड में संसद का सदस्य निर्वाचित हुआ) उसकी पुस्तक New Principles Of Poetical Economy का प्रकाशन हुआ था। इस पुस्तक का दूसरा संस्करण 1827 में निकला था जिसमें एक नहीं अनेक स्थलों पर उसने परम्परावादी सम्प्रदाय की कुछ आलोचना की थी। उसने इस संस्करण में अनेक नये विचारों और सिद्धान्तों को भी प्रतिपादित किया है। नीचे सिसमण्डी के प्रमुख आर्थिक विचारों के बारे में बताया गया है -
1. अर्थशास्त्र का उद्देश्य एवं अध्ययन - विधिप्रतिष्ठित सम्प्रदाय के अर्थशास्त्रियों विशेषकर रिकार्डों ने अर्थशास्त्र की अमूल्य शैली का प्रयोग किया था। वे अर्थशास्त्र को धन का विज्ञान भी मानते थे। सिसमण्डी ने प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों के इस विचार की आलोचना की है उनके अनुसार अर्थशास्त्र का उद्देश्य धन प्राप्त करना नहीं बल्कि मनुष्य का कल्याण करना है। उसने बताया कि मशीनों के आविष्कार, स्वतन्त्र प्रतियोगिता तथा निजी सम्पत्ति के कारण मनुष्य का जीवन आर्थिक संकटों के बीच से गुजर रहा है। अतः उसने कहा है कि व्यापक दृष्टिकोण से अर्थशस्त्र धन का सिद्धान्त है और कोई सिद्धान्त जिससे अन्ततः मनुष्य के सुख में वृद्धि नहीं होती है। विज्ञान कहलाने योग्य नहीं, अध्ययन विधि की आलोचना करते हुये उन्होंने स्मिथ की अध्ययन विधि का आभार प्रकट किया है। रिकार्डों के बारे में उसके दृष्टिकोण बिल्कुल भिन्न हैं और वह उसकी आलोचना भी करता है परन्तु उसने माल्थस की अध्ययन विधि की भूरि-भूरि प्रशंसा की है।
2. अति उत्पादन - प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री अति उत्पादन की कल्पना नहीं करते थे "से" ने बाजार के नियम से यह सिद्ध कर दिया था कि स्वतन्त्र अर्थव्यवस्था में अति उत्पादन तथा बेरोजगारी नहीं हो सकती यदि कभी ऐसा हुआ तो समझ लेना चाहिए कि अर्थव्यवस्था में सरकारी हस्तक्षेप है। प्रतिष्ठित अर्थशस्त्रियों के अनुसार जब कभी अर्थव्यवस्था में अति-उत्पादन की सम्भावना उत्पन्न होती है तब मूल्य- नीति इस असन्तुलन को दूर कर देती है। सिसमण्डी प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों के इस काल्पनिक विचार से सहमत हुआ। उसने सिद्ध किया कि पूँजीवाद के अधीन अति उत्पादन की समस्या उत्पन्न हो सकती है। उसके अनुसार, पूँजीवाद व्यवस्था एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें उत्पादन और बिक्री के बीच बड़ा अन्तर रहता है।
3. मशीनों व आविष्कारों के बारे में विचार - प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों ने श्रम विभाजन व मशीनों को उत्पादन वृद्धि के लिए लाभप्रद बताया था। उनके अनुसार मशीनों से उत्पादन लागत में कमी आती है, जिससें वस्तुओं की माँग बढ़ती है तथा अतिरिक्त श्रमिकों को काम मिलता है। कुल मिलाकर प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री मशीनीकरण को लाभप्रद मानते थे। सिसमण्डी उनके इस विचार से सहमत नहीं था। उसका कहना था कि मशीनों का आविष्कार बेरोजगारी को बढ़ाता है। ज्यों-ज्यों मशीनों का प्रयोग बढ़ेगा, त्यों-त्यों उत्पादन तो बढ़ेगा, परन्तु मजदूरों की छँटनी होती जायेगी जिससे उपभोग में कमी आने लगेगी और अति उत्पादन व बेरोजगारी बढ़ेगी।
मशीनों के दुष्परिमाणों में बारे में सिसमण्डी का कहना है कि “मशीनों के आविष्कार के कारण कुछ श्रमिक बेकार हो जाते हैं, उनकी आपस में प्रतियोगिता बढ़ती है, जिससे मजदूरी कम होती है। उनकी क्रय शक्ति में कमी होने के कारण उपभोग घटता है और वस्तु की माँग कम हो जाती है।
सिसमण्डी आविष्कारों का विरोध इसलिए करता है कि उनसे श्रमिकों के रोजगार, आय तथा रहन-सहन के स्तर में कमी आती है। वह श्रमिकों के प्रति बड़ा संवेदनशील दिखायी देता है। यहाँ उसके विचार महात्मा गाँधी से मेल खाते हैं। अतः मजदूरों के दुःख को दूर करने के लिए यह आविष्कारों के पक्ष में नहीं था।
स्वतन्त्र प्रतियोगिता का विरोध - सिसमण्डी एक सीमा तक प्रतियोगिता को स्वीकार करता है। उसने स्वतन्त्र अर्थव्यवस्था को तभी उचित कहा है, जबकि उसके द्वारा उपभोक्ताओं की माँग की पूर्ति के लिए उत्पादन बढ़ाया जा सके। परन्तु सिसमण्डी को हमेशा यह आशंका रहती है कि पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में इस बात की कल्पना तक नहीं की जा सकती है कि पूँजीपति उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए उत्पादन बढ़ाते हैं। उनके अनुसार, स्वतन्त्र अर्थव्यवस्था में प्रतियोगिता उत्पादन को इतना बढ़ा देती है कि उसका समुचित उपभोग हो ही नहीं सकता है, फलतः अति-उत्पादन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
उसके इस कथन से यह सन्देह नहीं रह जाता है कि वह समाजवादी नहीं है। वह लिखता है: “निस्सन्देह शोषण होता है। क्या हम धनिकों को गरीबों की लूट करते हुए नहीं देखते? वे उपजाऊ भूमियों से आसानीपूर्वक आय प्राप्त कर लेते हैं किन्तु जो काश्तकार परिश्रम से आय पैदा करता है वह भूख से मरता है और अपनी कमाई का सुखभोग नहीं कर पाता है।
जनसंख्या सम्बन्धी विचार सिसमण्डी ने अलग से जनसंख्या का कोई सिद्धान्त नहीं दिया है। उसने जनसंख्या के बारे में कहीं-कहीं माल्थस से मिलते-जुलते विचार अवश्य दिये हैं। सिसमण्डी ने जनसंख्या का सम्बन्ध मजदूर से जोड़ा है। उसके अनुसार जब मजदूरी बढ़ती है तो प्रजनन दर भी बढ़ती है और इससे श्रम की पूर्ति स्वतः बढ़ जाती है। बढ़ती हुई जनसंख्या को उसने अच्छा नहीं माना है। इससे व्यक्ति समाज व राष्ट्र सबको हानि होती है। उसने गरीबों व निर्धनों को यह सुझाव दिया था कि वे तब तक शादी न करें जब तक वह कोई सम्पति नहीं जुटा लेते है।
आर्थिक संकट के कारण - किसी भी राष्ट्र में आर्थिक संकट दो कारणों से हो सकता है प्रथम, श्रमिकों के बीच काम पाने के लिए प्रतियोगिता का होना व कम मजदूरी में काम करना; द्वितीय, मशीनी आविष्कार। इस प्रकार, एक वर्ग तो निर्धन का जीवन व्यतीत करता है और दूसरा वर्ग धन-संग्रह में लीन रहता है। इस विसंगति के कारण वर्तमान उपभोग में कमी आती है और बेरोजगारी बढ़ती है। कालान्तर में अति-उत्पादन होता है और मजदूरों की छँटनी होने लगती है।
इस प्रकार औद्योगिक श्रम से अच्छी नहीं है। यहाँ भूस्वामियों और कृषकों के हित परस्पर विरोधी है। सिसमण्डी का कहना है कि भूस्वामियों की आय निरन्तर बढ़ती है, जबकि कृषि श्रमिकों की आय में वृद्धि नहीं होती है। कृषि क्षेत्र में भी एक वर्ग सम्पन्न और दूसरा वर्ग निर्धन होता है। कुल मिलाकर माँग बहुत कम बढ़ती है, क्योंकि समाज का बहुसंख्यक वर्ग जो माँग बढ़ाता है उसकी आय में वृद्धि नहीं होती है। उपभोग के न बढ़ पाने से पुराने उद्योग नष्ट हो जाते हैं; और उपभोक्ता की आय में कमी होने से उपभोग में कमी आ जाती है। इस प्रकार आर्थिक संकट का प्रादुर्भाव होने लगता है।
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- प्रश्न- भारत के प्राचीनकालीन आर्थिक विचारधारा के प्रमुख स्रोतों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य रचित 'अर्थशास्त्र' में 'कल्याणकारी राज्य' की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में उल्लेखित विषयों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय आर्थिक विचारधारा की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं?
- प्रश्न- अर्थशास्त्र में उल्लिखित 'कृषि तथा पशुपालन' विषय पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के राजस्व के संबंध में विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के सार्वजनिक वित्त संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार, करारोपण राज्य के लिए क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- भारत में 19वीं शताब्दी में आर्थिक विचारधारा का विकास किन बातों से प्रभावित हुआ?
- प्रश्न- नरौजी के प्रमुख आर्थिक सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दादा भाई नौरोजी के निर्धनता सम्बन्धी विचार को समझाइये |
- प्रश्न- 'निष्कासन सिद्धान्त (The Drain Theory)' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त का सामान्य परिचय दीजिए।
- प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त के कृषि सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारत की निर्धनता का कारण ब्रिटिश सरकार की शोषण नीति है।" रोमेश दत्त के इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- "लगान की ऊँची दर भारतीय कृषि की दुर्दशा का एक प्रमुख कारण है।" स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- रोमेश दत्त के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर के आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- डॉ. राम मनोहर लोहिया के प्रमुख आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- गाँधी जी के 'समाजवाद' दर्शन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी और नेहरू जी के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीवाद तथा साम्यवाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी के मशीन सम्बन्धी विचारों को बताइये।
- प्रश्न- "नेहरूवाद मार्क्सवाद और गाँधीवाद का विवेकपूर्ण सम्मिश्रण है।" संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आर्थिक नीति की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय भारी उद्योगों को अमानवीय और तानाशाही प्रकृति का मानते थे। क्यों? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय की विकेन्द्रीकृत अर्थव्यवस्था की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय के समग्र मानवतावाद के दर्शन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- दीन दयाल उपाध्याय की एकीकृत आर्थिक नीति की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अर्थशास्त्र में 'आवश्यकता विहीनता' की परिभाषा के जन्मदाता प्रो. जे. के. मेहता हैं। इनके आर्थिक विचार समझाइए।
- प्रश्न- अमर्त्य सेन के 'निर्धनता' सम्बन्धी विचार लिखिए।
- प्रश्न- वैश्वीकरण पर अमर्त्य सेन के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- विश्व व्यापार प्रणाली के सन्दर्भ में भगवती के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- व्यापार उदारीकरण पर भगवती के विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्लेटो के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्लेटो और अरस्तू के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिये तथा आर्थिक विचारों के इतिहास में अरस्तू का महत्व बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन आर्थिक विचारधाराओं की प्रमुख विशेषताएँ कौन-कौन सी थीं?
- प्रश्न- प्लेटो के 'साम्यवाद' की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सेण्ट थॉमस एक्विनास के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उचित कीमत (Just price) सम्बन्धी सन्त थॉमस एक्विनास के विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सन्त थॉमस एक्विनास के श्रम विभाजन सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वणिकवाद के उदय के मूल कारकों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'वणिकवाद' के पतन के प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उन परिस्थितियों का आलोचनात्मक विवेचन कीजिए जिन्होंने वणिकवाद को बढ़ावा दिया और जो इसके पतन का कारण बनीं।
- प्रश्न- वणिकवाद के सिद्धान्त एवं नीतियाँ लिखिये।
- प्रश्न- वाणिकवाद से क्या आशय है?
- प्रश्न- वणिकवादी दर्शन के मुख्य तत्त्व क्या थे?
- प्रश्न- वणिकवाद का आर्थिक विचारों के इतिहास में क्या महत्व है?
- प्रश्न- वणिकवाद के ब्याज के सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- नव-वणिकवाद के उदय के कारण क्या हैं? संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पुराने वणिकवाद तथा नव-वणिकवाद में समानताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- सोना चाँदी का महत्व बताइये।
- प्रश्न- वणिकवाद की एक राष्ट्रीय नीति के सन्दर्भ में चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- वणिकवादियों के 'राज्य सम्बन्धी विचार' क्या थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'वणिकवाद एवं राज्य समाजवाद' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- थॉमस मून के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद क्या है? प्रकृतिवादी वणिकवादियों का क्यों विरोध करते हैं?
- प्रश्न- प्रकृतिवाद और वणिकवाद के अर्थशास्त्रीय दर्शन में क्या मूलाधारीय अन्तर है? उनके समाज की आर्थिक दशाओं में प्रकृतिवादियों की देन की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद के उदय के कौन-कौन से कारण उत्तरदायी थे?
- प्रश्न- आर्थिक तालिका अथवा धन के परिभ्रमण से क्या आशय है?
- प्रश्न- आर्थिक तालिका की दुर्बलताओं की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'प्रकृतिवादी सिद्धान्त' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समान त्याग के सिद्धान्त से क्या अभिप्राय है?
- प्रश्न- "सहयोगी समाजवादी" से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- सर विलियम पैटी के आर्थिक विचारों का वर्णन करें।
- प्रश्न- तुर्गो (Turgot) के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के मूल्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के सम्पत्ति सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक का विदेशी व्यापार सम्बन्धी व्यापार संतुलन के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "डेविड ह्यूम (David Hume) को मुद्रावाद का सूत्रधार कहा जाता है।" इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ की पुस्तक 'राष्ट्रों का धन' (Wealth of Nations) का तत्कालिक आर्थिक विचारधारा पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- एडम स्मिथ के आर्थिक विचारों के विकास में योगदानों का विवरण दीजिए तथा उनके, आर्थिक सिद्धान्तों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ की व्यवस्था के अन्तर्गत " श्रम विभाजन" और "बाजार के विस्तार" की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'परम्परावाद' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विचारों के इतिहास में स्मिथ के स्थान को चिन्हित कीजिए।
- प्रश्न- अहस्तक्षेप नीति क्या है?
- प्रश्न- स्मिथ के सिद्धान्तों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- स्मिथ का आशावाद क्या है?
- प्रश्न- एडम स्मिथ के पूँजी संचय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वितरण सम्बन्धी एडम स्मिथ के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ के व्यापार सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ के आशावाद पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- स्मिथ के प्रकृतिवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- "रिकार्डों का मुख्य योगदान मूल्य सिद्धान्त तथा वितरण सिद्धान्त के क्षेत्र में है। " व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रिकार्डो के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उन परिस्थितियों का वर्णन कीजिये जिनसे प्रकृतिवाद का जन्म हुआ। प्रकृतिवाद का आर्थिक विचारों में क्या योगदान है?
- प्रश्न- रिकार्डों के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- डेविड रिकार्डों के 'मजदूरी सिद्धान्त' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- रिकार्डों का तुलनात्मक लागत सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- रिकार्डों की प्रसिद्ध पुस्तक 'The Principles of Political Economy and Taxation' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रिकार्डो के लगान सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'जनसंख्या सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी आलोचनाओं को बताइए।
- प्रश्न- नव-माल्थसवाद क्या है? इसके प्रमुख आर्थिक विचारों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अति उत्पादन तथा लगान पर माल्थस के विचारों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'लगान' सम्बन्धी विचार को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'प्रभावी माँग के सिद्धान्त' का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस और रिकार्डो को निराशावादी क्यों कहा जाता है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के विचारों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक क्या थे? विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- 'मार्क्स अन्तर्राष्ट्रीय समाजवाद के पिता के रूप में था।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के 'अतिरेक मूल्य सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी प्रमुख आलोचनाओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के आर्थिक विघटन सम्बन्धी विचार की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "मार्क्सवाद परम्परावाद के तने पर उगी हुई शाखा मात्र है।" उक्त कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्या कार्ल मार्क्स को प्रतिष्ठित सम्प्रदाय का अर्थशास्त्री माना जा सकता है? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- सहयोगी समाजवाद, राज्य समाजवाद और वैज्ञानिक समाजवाद की तुलना कीजिए और उनका अन्तर भी स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स द्वारा प्रतिपादित आधुनिक समाजवाद के मुख्य सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सिसमाण्डी के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "सिसमाण्डी समाजवादी विचारक था। " सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्सवाद की विचारधारा के मूल तत्त्व कौन-कौन से थे?
- प्रश्न- मार्क्सवाद की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- वर्ग संघर्ष पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के प्रमुख आर्थिक विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों पर प्रभाव डालने वाले मुख्य घटकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे आर. हिक्स के विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "मिल के द्वारा परम्परावादी अर्थशास्त्र पूर्ण रूप से विकसित किया गया और उसी के साथ उसका पतन प्रारम्भ हुआ।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल परम्परावादी सिद्धान्तों के किन-किन नियमों से सहमत तथा किन-किन नियमों से असहमत था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वहित सिद्धान्त की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वतन्त्रता प्रतियोगिता के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के जनसंख्या सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मिल के समाजवादी विचारों की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- 'जे. एस. मिल समाजवादी था'। इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- जे. बी. से के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के मजदूरी सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मिल के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'मूल्य व वितरण' के क्षेत्र में मार्शल के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्पष्ट व्याख्या कीजिए कि नव-परम्परावाद क्या है? इस सन्दर्भ में मार्शल के आर्थिक सिद्धान्त के क्षेत्र में योगदान का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- नव परम्परावाद क्या है? परम्परावादी एवं नव परम्परावादी विचारों में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद को जन्म देने वाली शक्तियों की व्याख्या कीजिए तथा आर्थिक विचारधारा में उसका मुख्य योगदान बताइये।
- प्रश्न- मार्शल के निरंतरता सिद्धांत पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्शल के आभास लगान के संबंध में विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिनिधि फर्म के विषय में मार्शल के विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्शल ने अल्पकालीन व दीर्घकालीन विवाद के हल को कैसे सुलझाया?
- प्रश्न- परम्परावादी तथा नवपरम्परावादी विचारों में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- मार्शल के उपयोगितावाद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- शुद्ध उत्पत्ति का सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- राबिन्स के विचारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पीगू के आर्थिक कल्याण सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- पीगू ने अर्थशास्त्र का क्षेत्र निर्धारण किस प्रकार किया है?
- प्रश्न- पीगू के रोजगार सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पीगू के समाजवादी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शुम्पीटर के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सीमान्तवाद क्या है? सीमान्तवादियों का अर्थशास्त्र में क्या योगदान रहा है?
- प्रश्न- क्रूनो के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मूल्य निर्धारण के सम्बन्ध में क्रूनो के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- गोसेन के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जेवन्स के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रो. एल. वालरा (वालरस) के बाजार सन्तुलन सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिसमण्डी के आर्थिक विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- सीमान्तवादी क्रान्ति की व्याख्या कीजिए तथा इस सम्बन्ध में मेंजर के विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जेवन्स के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के द्रव्य सम्बन्धी विचारों को संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- विकस्टीड के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वालरस के उपयोगिता सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वालरस के साम्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के विनिमय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के अनुसार वस्तुओं के वर्गीकरण का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जेवेन्स के मूल्य सिद्धान्त का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जेवेन्स के आर्थिक विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- यूजिन वॉन बाम बावर्क के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाम बावर्क के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नटविकसेल के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- इविंग फिशर के प्रमुख आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "मुद्रा प्रसार व संकुचन दोनों हानिकारक हैं।" इविंग फिशर के इस विचार का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- फिशर के मुद्रा के परिमाण सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।